Tuesday 8 July 2014


स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ shared a photo.
सुप्रभात
- सुबह उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के
अनुसार कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . वात या पित्त प्रवृत्ति
के लोगों को आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात
प्रवृत्ति वालों को मेथी दाना (भिगोया हुआ ); थायरोइड के मरीजों को
भिगोया हुआ धनिया , कफ प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक
क्षमता वालों को गिलोय घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले .
- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .
- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य
डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले .
इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए . ताकि
लोग इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय
के लिए चुन ले .
- हार्ट के मरीजों को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए
- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .
- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .
- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .
- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .
- राजीव भाई ने बताया था के वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गए
सूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ
लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी
डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें
हम दूध डाल के ले सकते है .
- जो बच्चें मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय
(जड़ी बूटी वाली ) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय
देनी चाहिए .
- चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके
साथ अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते
है .
- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .
- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश
के नाम कर सके .
- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप
हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .
- आपका दिन शुभ हो ,मंगलमय हो .
सुप्रभात
- सुबह उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के
अनुसार कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . वात या पित्त प्रवृत्ति
के लोगों को 
 आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात
प्रवृत्ति वालों को मेथी दाना (भिगोया हुआ ); थायरोइड के मरीजों को
भिगोया हुआ धनिया , कफ प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक
क्षमता वालों को गिलोय घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले .
- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .
- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य
डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले .
इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए . ताकि
लोग इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय
के लिए चुन ले .
- हार्ट के मरीजों को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए
- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .
- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .
- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .
- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .
- राजीव भाई ने बताया था के वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गए
सूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ
लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी
डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें
हम दूध डाल के ले सकते है .
- जो बच्चें मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय
(जड़ी बूटी वाली ) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय
देनी चाहिए .
- चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके
साथ अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते
है .
- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .
- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश
के नाम कर सके .
- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप
हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .
- आपका दिन शुभ हो ,मंगलमय हो .








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चीजों को बर्वाद ना करें




भगवान् बुद्ध क एक अनुयायी ने कहा , ” प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है .”
बुद्ध: बताओ क्या कहना है ?
अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं . अब ये पहनने लायक नहीं रहे . कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें !
बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे , वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो चुके थे और जगह जगह से घिस चुके थे …इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिए.
कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे .
बुद्ध : क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो ? तुम्हे और कुछ तो नहीं चाहिए ?
अनुयायी: धन्यवाद प्रभु . मैं इन वस्त्रों में बिलकुल आराम से हूँ और मुझे और कुछ नहीं चाहिए .
बुद्ध: अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया ?
अनुयायी: मैं अब उसे ओढने के लिए प्रयोग कर रहा हूँ ?
बुद्ध: तो तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया ?
अनुयायी: जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की जगह लगा दिया है .
बुद्ध: तो क्या तुमने पुराने परदे फ़ेंक दिए ?
अनुयायी: जी नहीं , मैंने उसके चार टुकड़े किये और उनका प्रयोग रसोई में गरम पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूँ.
बुद्ध: तो फिर रसॊइ के पुराने कपड़ों का क्या किया ?
अनुयायी: अब मैं उन्हें पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूँगा .
बुद्ध: तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ ?
अनुयायी: प्रभु वो अब इतना तार -तार हो चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था , इसलिए मैंने उसका एक -एक धागा अलग कर दिए की बातियाँ तैयार कर लीं ….उन्ही में से एक कल रात आपके कक्ष में प्रकाशित था .
बुद्ध अनुयायी से संतुष्ट हो गए . वो प्रसन्न थे कि उनका शिष्य वस्तुओं को बर्वाद नहीं करता और उसमे समझ है कि उनका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है।
मित्रों , आज जब प्राकृतिक संसाधन दिन – प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं ऐसे में हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को बर्वाद ना करें और अपने छोटे छोटे प्रयत्नों से इस धरा को सुरक्षित बना कर रखें .

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